कश्मीर यात्रा संस्मरण वर्ष 2016 भाग दो
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दूसरा दिन दिनाँक 5 जुलाई 2016
लगभग सुबह 8 बजे ट्रैन कटरा पहुँच गयी। कटरा जम्मू & कश्मीर में स्थित एक खूबसूरत जगह है जो माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए विश्व विख्यात है।कटरा रेलवे स्टेशन का उद्धघाटन जुलाई 2014 में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। कटरा रेलवे स्टेशन बहुत ही साफ़ सुथरा एवं सुसज्जित है। इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। कुछ ही देर में हम सब स्टेशन से बाहर आ गए। स्टेशन के बाहर होटल एवं गाड़ियों के दलालों की भीड़ थी। तभी हमने एक बन्दे से मोलभाव करके 600 रूपये में एसी कमरा बुक कर लिया जिसमे गाडी से लाना और मंदिर के बेस स्थल तक छोड़ना शामिल था।होटल रेलवे स्टेशन रोड से थोड़ा आगे ही था। 5 मिनट में हम होटल में पहुँच गए व जरुरी औपचारिकताएं पूरी की।
होटल वाले ने प्रथम तल का कमरा हमें दिया और दो बेड़ लगवा दिए। कमरे में पहुँच कर हमने सामन व्यवस्थित किया और बारी बारी से सबने स्नान किया। तब तक 11बज चुके थे। बाहर जाके के 250 रूपये में हमने एक प्रीपेड सिम ली। चूँकि हम सबके पास प्रीपेड सिम कार्ड था इसलिए सबका नेटवर्क बंद था क्यूंकि जम्मू कश्मीर में शेष भारत के लोगो की पोस्टपेड सिम ही काम करती है।अब सबको भूख सताने लगी थी। होटल के नजदीक ही एक ढ़ाबा था। वहां हम सबने भरपेट स्वादिष्ट खाना खाया और वापस कमरे में आ गए।तकरीबन एक घंटे तक हमने आराम किया और डेढ़ बजे होटल वाले को फोन किया। उसने गाडी ड्राइवर को बुलाया व हमें बस स्टेंड तक छुड़वा दिया, जहाँ से नजदीक में ही मंदिर में जाने के लिये पास बनवाना पड़ता है।
दोपहर का वक्त था भीड़ ना के बराबर थी। 5 मिनट में सबके पास बन गए और हम वही से पैदल मंदिर के रास्ते चल दिए। दोपहर का वक्त और तेज धूप उमस। हम 2:10 बजे (PM) मंदिर के प्रवेश स्थल पहुँच गए जहाँ सुरक्षा जांच और पास चेकिंग चल रही थी। यहाँ से थोड़ा आगे चलते ही खच्चरों की भीड़ थी। जो अक्षम और चलने में डरने वाले थे उन्होंने यही से मोल भाव करके खच्चर लेने शुरू कर दिए।लगभग 5 किमी तक का रास्ता खच्चरों की वजह से बदबू मार रहा था लेकिन उसके बाद दो रास्ते जाते है जिनमे एक रास्ते से खच्चर एवं यात्री तथा दूसरे रास्ते से सिर्फ यात्री ही जा सकते है जो बदबू रहित एवं साफ़ सुथरा है।हम अनवरत आगे बढ़ते रहे, जैसे चढ़ाई बढ़ती जा रही थी मौसम वैसे ही खुशनुमा होता जा रहा था। लगभग डेढ़ घन्टे लगातार चलने एवं तकरीबन 6 किमी की चढ़ाई करने पे पंद्रह मिनट के लिए रुके एवं थोड़ा जलपान किया।
जैसे ऊपर चढ़ते जा रहे थे वैसे वैसे ठंड भी बढ़ने लगी थी।नीचे देखने पे कटरा बहुत ही खूबसूरत एवं थोड़ा धुंधला सा दिख रहा था। नीचे धुप व ऊपर ऊपर बादल मंडरा रहे थे।प्रकृति भी कितनी अनुपम है।शाम को पाँच बजे हम मंदिर के बाहर पहुँच गए एवं थोड़ी देर के लिए बैठकर सुस्ताने लगे। क्या बूढ़े क्या बच्चे सभी का जोश देखते ही बन रहा था। माता के जयकारे जोर शोर से लग रहे थे। हमने जूते सैंडिल बेल्ट लॉकर में रख दिए व प्रसाद ले के मंदिर के लिए जाने वाली पंक्ति में लग गए। यहाँ से 15 मिनट के वक्त में हम गुफा के द्वार पे पहुँच गये। मौसम खूबसूरत था, सूरज बादलों में लुकाछिपी कर रहा था। जैसे ही हम सब गुफा के प्रवेश द्वार पे थे तभी वहां पर सामने की तरफ माता रानी की सवारी "शेर" के दर्शन हो गए। सभी यात्रियों ने माता के जयकारों से माहौल को शानदार बना दिया। मोबाइल एवं कैमरा यहाँ वर्जित थे, इसलिए सभी को शेर की फोटो न ले पाने का खासा मलाल था। खैर शेर वहाँ तकरीबन आधे घंटे तक बैठा रहा।
हम सबने माता रानी के दर्शन किये और सबने अपनी अपनी इच्छित मनोकामनाएँ मांगी।कुछ ही देर में बारिश शुरू हो गयी, मौसम का मिजाज बिगड़ते यहाँ वक्त नहीं लगता है। हमने ऊपर भैरोंजी महाराज के चढ़ने का विचार त्याग दिए और उतराई के लिए चल पड़े।समय साढ़े सात हो चूका था। अँधेरा बढ़ रहा था,लाईटे जलने लगी। 9:30 बजे तक हम तकरीबन उतर चुके थे तभी जोरदार बारिश औले व अंधड़ शुरू हो गया जो लगभग 11 बजे तक चलती रही।लाइट काटने की वजह से चारो तरफ अँधेरा छा गया कुछ ही पलों में। खैर जैसे तैसे करके नीचे पहुँचे तब तक 11:45 बज चुके थे और गाडी वाले ने पहले ही बोल दिया था कि 11 बजे तक आओगे तो ही वो हमें लेने आयेगा। हमने 200 रूपये में ऑटो किया और होटल पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर नजदीकी ढ़ाबे पे खाना खाया और सोने को चल दिए। थकान की वजह से पैरों की हालत कुछ खस्ता ही थी जल्द ही सबको नींद आ गयी।
शुभाष्ति निशा।
शुभाष्ति निशा।
अगले भाग में जारी......
मंदिर में चढ़ाई करते हुए |
ऑटो में मैं, सुभाष, जेपी और धर्मेन्द्र . फोटो अशोक ने ली है |
बहुत सुंदर यात्रा विवरण
ReplyDeleteबहुत सुंदर यात्रा विवरण
ReplyDeleteधन्यवाद आपका अनिल जी :)
Deleteशेर मतलब असली का आ गया
ReplyDeleteखाई के पार जो पहाड़ हैं वहां?
जी नितिन जी बिल्कुल असली। जहाँ जय माता दी लिखा हुआ है वहां जाके बैठ गया था
Deleteबहूत अच्छा लग रहा है आपका ये लेख ।
ReplyDeleteधन्यवाद कपिल जी
Deleteप्रशंशनीय।
ReplyDeleteशुक्रिया :)
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद हितेश जी
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत ही शानदार यात्रा विवरण
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