कश्मीर यात्रा संस्मरण वर्ष 2016 भाग तीन



इस यात्रा वर्तान्त को प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे !!

 

समय सुबह लगभग 7:30 बजे 

आज थकान की वजह से सुबह देर से आँख खुली, मैंने सभी साथियों को जगाया और सब फटाफट अपने नित्यकर्म से निवर्त होकर 9 बजे तैयार हो गए. हमने काफी माथापच्ची के बाद तय किया की श्रीनगर चलेंगे. बस की जानकारी प्राप्त की लेकिन ज्यादातर बस सुबह जल्दी निकल जाती है. हमने होटल वाले को फोन करके गाडी के लिए बोल दिया. तकरीबन दस मिनट में चेक आउट कर लिया. गाडी ने हमें कटरा बस अड्डे पे छोड़ दिया. वहां पे मैंने दो तीन ट्रेवल्स वालो से बात की लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. आखिरकार एक टूर ट्रेवल्स वाले से हमने चार दिन के लिए गाडी की जिसमे कटरा से श्रीनगर, लोकल साईट सीन एवं वापसी में जम्मू तक छोड़ना एवं तीन दिन के लिए श्रीनगर में कमरा उपलब्ध करवाना शामिल था। ये सब 13000 रूपये में तय हुआ. तकरीबन 10:30 बजे गाडी कटरा से श्रीनगर के लिए निकल पड़ी.

कटरा से कुछ दूर निकलते ही हेलीपेड आता है जहां से माता वैष्णो देवी के लिए हेलीकाप्टर उड़ान भरता है. उधमपुर से गुजरने पर यहाँ भारतीय सेना की तैनाती चारो तरफ दिखती है.कटरा से उधमपुर तक पहुँचने में तकरीबन एक घंटा लग गया.यहाँ हमने नाश्ते के लिए कुछ फल फ्रूट लिए और पेट पूजा की.रास्ते में शनि भगवान का मंदिर आता है बहुत ही सुंदर मंदिर है. मंदिर में धोक लगायी और सभी ने प्रसाद प्राप्त किया. संयोग से ड्राईवर उधमपुर का ही था उसका नाम जीवण शर्मा था.बढ़िया ड्राईवर और रास्ते का अच्छा जानकार. रास्ते में अनेको जगह पे अमरनाथ यात्रियों के लिए भण्डारे चल रहे थे. दोपहर दो बजे तक कूद गाँव पहुँच गये, वहां पर सडक पर बाबा अमरनाथ के लिए चलने वाले लंगर में भोजन किया, बहुत ही स्वादिष्ट और शानदार भोजन. जय हो बाबा बर्फानी और आपके भक्तों की जो ऐसी जगहों पे भी अपनी सेवायें दे रहे है. कूद गाँव की मिठाईयाँ प्रसिद है.ये मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है.

लगभग 3 बजे हम पटनी टोप से कुछ दुरी पे स्थित बाबा गवाह (नाग देवता) मंदिर पहुँच गए. मंदिर के लिए सडक से कुछ सीढियाँ निचे उतर कर जाना पड़ता है. छोटा और अच्छा मंदिर था. दर्शन करके हम वापस गाडी में सवार हो गए.रास्ते घुमावदार और हरियाली से भरपूर एवं लम्बे लम्बे पेड़, उनमे से बादल धुँआ की तरह उड़ रहे थे. कुल मिलाकर बहुत ही मजेदार और शानदार नज़ारे दिख रहे थे. कुछ ही समय में पटनी टोप आ गया. सर्दियों में यहाँ भरपूर बर्फ़बारी होती है तब यहाँ एक सफ़ेद चादर सी बिछ जाती है और अब चारो तरफ हरियाली छाई हुयी है. लगभग घंटे भर तक यहाँ वहाँ घुमे और प्रकृति के मनोरम नज़ारे देखे. बहुत ही आनन्दमय नज़ारे!!

 

 

पटनी टोप से आगे रास्ते घुमावदार होते जाते है, एक तरफ पहाड़ तो दूसरी तरफ गहरी खाई. गिर गए तो सीधा उप्पर ही मिलें. पटनी टोप से आगे उतराई और चढ़ाई का खेल चलता रहता है. इससे आगे बटोत गाँव आता है, जिससे एक रास्ता श्रीनगर एवं लेह को जाता है लेकिन ये थोडा लंबा और सुनसान पड़ता है जिस वजह से इसे कम लोग इस्तेमाल करते है. सड़क के रास्ते पे चेनाब नदी बहती हुयी दिखने लगती है,बारिश की वजह से नदी का पानी बहुत मटमैला हो रखा था.कुछ दूर आगे चन्द्र्कोट पहुँच गए, वहां से बगलिहार बाँध (चन्द्र्कोट बाँध) दिख रहा था.जिसके सभी गेट खुले हुए थे. ये आप फोटो में भी देख सकते है. चन्द्र्कोट से आगे रामबन आते है यहाँ तक आते आते सांझ ढलने लगती है, रास्ते में जगह जगह पर हमारे जवान मुस्तैदी से तैनात थे.

रामबन और बनिहाल के बीच में खुनी नाला ब्रिज है.यहाँ भूस्खलन की वजह से काफी हादसे होते थे तब इसका निर्माण किया गया था, पहले ये रास्ता सुरंग से होकर जाता था. यहाँ पे एक मंदिर है और नजदीक ही कुछ चाय की दुकाने है जहां हमने चाय का आनंद लिया. इस जगह से शानदार चाय पूरे जम्मू कश्मीर में मुझे कही नहीं मिली. आगे बनिहाल पहुँचते है, श्रीनगर से बनिहाल तक ट्रेन चलती है एवं बनिहाल से उधमपुर के लिए रेलवे ट्रैक का कार्य प्रगति पे है. जब इसका कार्य पूर्ण हो जायेगा तब एक यात्रा ट्रेन से भी होगी जम्मू से श्रीनगर की. खैर ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा है की क्या होगा ? इंसान तो सिर्फ सोच सकता है बाकी काम संयोग और किस्मत से होते जाते है.

 

बनिहाल से आगे एक टोल टैक्स आता है जहां पर गाडी साइड में लगाओ और टोल पर्ची ले के आओ,हमारे यहाँ से बिल्कुल अलग.टोल बूथ पे अनेको लोग फल फ्रूट कपडे वगेरह बेचते हुए मिल जाते है. इसके बाद जवाहर सुरंग आती है.ये सुरंग लगभग 2.5 किमी लम्बी है. दोनों तरफ CRPF की तैनाती है.इसके बाद उतराई शुरू हो जाती है एवं मैदानी इलाके नजर आने लगते है. अमरनाथ यात्रियों एवं वहाँ पर जाने वाले सभी साधनों को अनंतनाग से पहले FCI के एक बड़े से गोदाम में रोका जाता है रात्रि विश्राम के लिए. सुबह जल्दी में ये सभी सेना के कानवाई के साथ साथ चलते है. आज ईद थी इसलिए यहाँ भीड़ कम थी,लोग पटाखों एवं आतिशबाजी का आनंद ले रहे थे.खैर 9:30 बजे हम सब श्रीनगर पहुँच गए और रूम में जाने से पहले सबने ढाबे पे खाना खाया. ठीक ठाक भोजन मिला. पांच बन्दों के खाने का खर्चा 570 रूपये.

आधे घंटे बाद हम होटल पहुँच गए.बहुत ही अच्छा कमरा था, हमारे लिए दो डबल बेड लगा दिए गए.होटल मालिक मुसलमान था , थोड़ी बातचीत हुयी तो पता चला की वो हमारे यहाँ जोधपुर व पोकरण में इंजिनियर था, लगभग 8 साल राजस्थान में गुजारे तथा राजस्थानी खाने और लोगो के व्यहवार का बहुत कायल था वो.हमने उनको ईद की शुभकामनाये दी और अपने कमरे में सारा सामान व्यवस्थित कर लिया. घर पर फोन करके सुचना दी की हम सकुशल श्रीनगर पहुँच गए है और अभी चार पांच दिन यही घूमेंगे. मौसम यहाँ बहुत खुशनुमा था, ना ज्यादा गर्मी ना सर्दी !! अब हमें चले सोने !! 

शेष यात्रा अगले भाग में जारी !!

अपनी अमूल्य टिप्पणियाँ देते रहियेगा. भूल चुक लेनी देनी :)






बाबा गवाह जी (नाग देवता ) मंदिर



खुनी नाला ब्रिज




जय शनि देव 

 



चेनाब नदी




बगलिहार बाँध (चन्द्र्कोट बाँध)




ये फोटो गूगल से लिया गया है



A Close View of Baglihar Dam

















 खुनी नाला ब्रिज के सामने स्थित मंदिर






मंदिर में लगे हुए ध्वज 









 शनि महाराज के मंदिर में






पटनीटोप की हसींन वादियाँ 
                 





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Comments

  1. बहुत बढ़िया यात्रा संस्मरण

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    1. धन्यवाद मुकेश जी

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    2. https://www.blogger.com/profile/06937888600381093736
      बहुत बढ़िया यात्रा संस्मरण

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  2. बहुत बढ़िया यात्रा संस्मरण

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  3. बढ़िया प्रस्तुति, मज़ा आ गया !!!!

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  4. ये खुनी नाला वाला ब्रिज हमने भी देखा था, पर इसका लॉजिक हमे कोई नहीं बता पाया, अगर आप समझ चुके है तो अवगत कराइये।

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  5. ये खुनी नाला वाला ब्रिज हमने भी देखा था, पर इसका लॉजिक हमे कोई नहीं बता पाया, अगर आप समझ चुके है तो अवगत कराइये।

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    1. इस बार मिलोगे तो समझाऊंगा

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  6. शानदार यात्रा और उससे से भी शानदार यात्रा वृत्तांत ।
    ☆☆☆☆
    आप लोग ग्रुप मे कितने लोग थे ?

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    1. 5 लोग थे कुल ☺ धन्यवाद कपिल जी

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  7. बहुत सुन्दर यात्रा विवरण

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  8. बहुत सुन्दर यात्रा विवरण

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Thank You So Much !!

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